स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: मान्यता है कि होली को रंगों का त्योहार मनाना भगवान कृष्ण के समय से शुरू हुआ। भगवान कृष्ण प्रेम के प्रतीक माने जाते हैं। श्रीकृष्ण मथुरा में रंगों के साथ होली मनाते थे और उसके बाद से ही होली का त्यौहार रंगों के त्यौहार के रूप में मनाए जाने की प्रथा शुरू हो गई। वह वृंदावन और गोकुल में अपने दोस्तों के साथ होली खेलते थे। धीरे -धीरे इस त्यौहार ने एक सामुदायिक कार्यक्रम का रूप ले लिया है। यही वजह है कि आज भी वृंदावन में होली का उत्सव बेजोड़ है और अब दुनिया में सभी जगह लोग अपने - अपने तरीके से होली खेलते हैं और अपने भीतर की कटुता को समाप्त करते हुए मित्रवत रहते हैं। होली को लेकर एक मान्यता यह भी है कि होली एक वसंत त्योहार है जो सर्दियों को अलविदा कहता है। कुछ हिस्सों में उत्सव वसंत फसल के साथ भी जुड़े हुए हैं। नई फसल से भरे हुए अपने भंडार को देखने के बाद किसान होली को अपनी खुशी के एक हिस्से के रूप में मनाते हैं। इस वजह से, होली को ‘वसंत महोत्सव’ के रूप में भी जाना जाता है