High Court : जानिए शादी के नियमो के बारे में हाईकोर्ट ने क्या कहा

विवाह उचित रीति-रिवाजों के साथ संपन्न नहीं किया जाता, तब तक इसे वैध नहीं कहा जा सकता और कानून की दृष्टि में यह विवाह नहीं है। हिंदू कानून के तहत 'सप्तपदी' समारोह वैध विवाह के लिए आवश्यक रिवाजों में से एक है।

author-image
Kalyani Mandal
New Update
sadi6

स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़ : इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय (Allahabad High Court) ने कहा है कि बगैर सप्‍तपदी और अन्‍य र‍िवाजों के बगैर वैध नहीं है। इस आधार पर, अदालत ने एक शिकायत मामले की कार्यवाही को रद्द कर दिया है, जहां पति ने अपनी अलग हो चुकी पत्नी के लिए सजा की मांग की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसने उससे तलाक लिए बिना दूसरी शादी कर ली है।
स्मृति सिंह द्वारा दायर एक याचिका को स्वीकार करते हुए, न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने कहा, “यह अच्छी तरह से स्थापित है कि विवाह के संबंध में 'अनुष्ठान' शब्द का अर्थ है, 'उचित समारोहों के साथ और उचित रूप में विवाह का जश्न मनाना'। जब तक विवाह उचित रीति-रिवाजों के साथ संपन्न नहीं किया जाता, तब तक इसे वैध नहीं कहा जा सकता और कानून की दृष्टि में यह विवाह नहीं है। हिंदू कानून के तहत 'सप्तपदी' समारोह वैध विवाह के लिए आवश्यक रिवाजों में से एक है।